Chanakya Neeti Book PDF in Hindi Download | Chankya Neeti PDF in Hindi |Chankya Neeti by Ashwini Parashar book Pdf in Hindi | Chanakya Neeti by Ashwini Parashar book Pdf in Hindi free download
आप नीचे दी गयी पर क्लिक करके Chankya Neeti Book PDF मुफ्त में डाउनलोड क्र सकते हैं . डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गयी फोटो /लिंक पर क्लिक करें
Chanakya Neeti PDF Download -If you want to download The Chankya Neeti PDF For Free. You have landed on the correct website, here we have shared Chankya Neeti Book PDF For free download. Here is some info about this book.

Chanakya Neeti Book Description
Title | Chanakya Neeti |
Author | Parashar Ashwin |
Language | Hindi |
Pages | 192 |
Size | 2.8 MB |
Chanakya Neeti Book PDF Summary
जानिये कौन थे चाणक्य
जब सिकंदर ने पंजाब, गांधर आदि राज्यों को जीतकर उन्हें अपने अधीन कर लिया था। वहां यवन सैनिकों के अत्याचारों से लोग त्रास्त थे। चारों तरफ आतंक व्याप्त था। बहू-बेटियों की अस्मिता असुरक्षित थी। यवन पूरे भारत को जीतना चाहते थे। स्थिति बड़ी दयनीय थी। यवनों के राज्य का विस्तार पूरे भारतवर्ष में हो, यह चाणक्य जैसे आत्मसम्मानी देशभक्त के लिए असहनीय था। ऐसे में चाणक्य ने एक ऐसे बालक को शस्त्रा-शास्त्रा की शिक्षा देकर यवनों के सामने खड़ा किया, जो विद्वान तो था ही, साथ ही राजनीति और युद्ध नीति में भी निपुण था।
Also Read : Do Epic Shit Ankur Warikoo Book PDF
यही बालक चाणक्य के सहयोग से नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से मगध् का शासक बना। उसने यवनों को भारत की सरहद के पार कर भारतीय सभ्यता और संस्कृति की रक्षा की तथा देश में एकता व अखंडता की स्थापना की।
अश्विन पराशर द्वारा लिखी इस किताब में चाणक्य नीति के साथ साथ चाणक्य सूत्र भी व्याख्यान सहित हैं .
पुस्तक से कुछ अंश (Excerpts from the book)

Chanakya Neeti Book PDF Contents
Also Read : Autobiography of A Yogi Book PDF
- प्रथम अध्याय -ईश्वर प्रार्थना, अच्छा मनुष्य कौन, राजनीति जग-कल्याण के लिए होती है, शिक्षा सुपात्र को, मृत्यु के कारणों से बचें, विपत्ति में क्या करें, इन स्थानों पर न रहें, परख समय पर होती है; हाथ आई चीज़ न गंवाएं, विवाह समान में ही शोभा देता है, देख-परख कर भरोसा करें। सार को ग्रहण करें, स्त्री-पुरुष से आगे होती है।
- द्वितीय अध्याय-स्त्रियों के स्वाभाविक दोष, जीवन के सुख भाग्यशाली को मिलते हैं, जीवन सुख में ही स्वर्ग है, सार्थकता में ही सम्बन्ध का सुख है, छली मित्र को त्याग दें, मन का भाव गुप्त ही रखें, पराधीनता, साधु पुरुष, पुत्र के प्रति कर्तव्य, स्वाध्याय, आसक्ति विष है, विनाश के कारण, व्यक्ति का बल, दुनिया की रीति, दुष्कर्मों से सचेत रहें, मित्रता बराबर की।
- तृतीय अध्याय-दोष कहाँ नहीं है, लक्षणों से आचरण का पता लगता है, व्यवहार कुशल बनें, दुष्ट से बचें, संगति कुलीनों की करें, सन्तों का सम्मान करें, मूरों का त्याग करें, विद्या का महत्व पहचानें, सूरत से सीरत भली, श्रेष्ठता को बचाएँ, परिश्रम से ही फल मिलता है, अति का त्याग करें, वाणी में मधुरता लाएं। गुणवान एक भी पर्याप्त है, माता-पिता भी दायित्व समझें, समय की सूझ, जीवन की निष्फलता, लक्ष्मी का वास ।
- चतुर्थ अध्याय-कुछ चीजें भाग्य से मिलती हैं, सन्तों की सेवा से फल मिलता है; जहाँ तक हो पुण्य कर्म करें, विद्या कामधेनु के समान होती है। गुणवान पुत्र एक ही पर्याप्त है, मूर्ख पुत्र किस काम का, इनसे सदा बचें, जिनका उपयोग नहीं उनका होना क्या?, इनसे सुख मिलता है, ये बातें एक बार ही होती हैं, कम अकेले और कब साथ रहें, पतिव्रता ही पत्नी है, निर्धनता अभिशाप है, ज्ञान का अभ्यास भी करें, इनका त्याग देना हीअच्छा है, बुढ़ापे के लक्षण, काम से पहले विचार लें, माता-पिता के भिन्न रूप ।
- पंचम् अध्याय-अभ्यागत श्रेष्ठ होता है, पुरुष की परख गुणों से होती है, सिर पड़े संकट का सामना करें, दो लोगों का स्वभाव एक नहीं होता, स्पष्टवादी बनें, इनमें द्वेष भावना होती है, इनसे ये चीजें नष्ट हो जाती हैं, इनसे गुणों की पहचान हो जाती है, कौन किसकी रक्षा करता है, मूर्ख का त्याग करें, आत्मा को पहचानें, मनुष्य अकेला होता है, संसार को तिनका समझो, मित्र के भिन्न रूप, कौन कब बेकार है, प्रिय वस्तुएँ, जो सामने न हो उससे क्या लगाव, धर्म ही अटल है, इन्हें धूर्त मानें।
- षष्ठ अध्याय-सुनना भी चाहिए, चाण्डाल प्रकृति, इनसे शुद्धि होती है, भ्रमण आवश्यक है, धन का प्रभाव, बुद्धि भाग्य की अनुगामी होती है, काल प्रबल होता है, जब कुछ दिखाई नहीं देता, कर्म का प्रभाव, शत्रु कौन, इन्हें वश में करें, दुष्टों से बचें, सीख किसी से भी ले लें – शेर से, बगुले से, गधे से, मुर्गे से, काग से, कुत्ते से; शिक्षा सबल बनाती है।
- सप्तम् अध्याय-मन की बात मन में रखे, लाज संकोच देखकर करें, संतोष बड़ी चीज़ है, इनसे बचें, यौवन ही स्त्रियों का बल है, हंस के समान न बरतें, अर्जित धन त्यागते रहें, सत्कर्म में ही महानता है, दुष्कर्मी नरक भोगते हैं, विद्या बिना जीवन बेकार है, परोपकार सबसे बड़ी शुद्धता है । देह में आत्मा देखें ।
- अष्टम् अध्याय-सम्मान ही महापुरुषों का धन है, दान का कोई समय नहीं, यथा अन्न तथा सन्तान, सबसे बड़ा नीच, धन का सदुपयोग करें, स्नान से शुद्धता आती है, पानी एक औषधि है, ज्ञान को व्यवहार में लाएं, इसे विडम्बना ही समझें, शुभ कर्म करें, भावना में ही भगवान है, शांति ही तप है, सन्तोष बड़ी चीज़ है, इनसे शोभा बढ़ती है, दुर्गुण सद्गुणों को खा जाते हैं, इन्हें शुद्ध जानें, दुर्गुणों का दुष्प्रभाव, विद्वान् सब जगह पूजा जाता है, इनसे हानि ही होती है।
- नवम् अध्याय-मोक्ष, विडम्बना, सबसे बड़ा सुख, विद्या का सम्मान, इन्हें सोने न दें, इन्हें जगाएं नहीं, इनसे कोई हानि नहीं, इनसे न डरें, आडम्बर भी आवश्यक है, महापुरुषों का जीवन, सौन्दर्य झस, मर्दन, उपचार गण।
- दशम् अध्याय-विद्या अर्थ से बड़ा धन, सोच-विचार कर कर्म करें, भाग्य, लोभी से कुछ न मांगे, गुणहीन नर पशु समाना, उपदेश सुपात्र को ही दें, निर्धनता अभिशाप है, ब्राह्मण धर्म, घर में त्रैलोक्य सुख, भावुकता से बचें, बद्धि ही बल है, सब ईश्वर की माया है, घी सबसे बड़ी शक्ति, चिन्ता चिता समान है।
- एकादश अध्याय-संस्कार का प्रभाव, द्रोही का नाश होता है, सूरत से बड़ी सीरत है, यथा गुण तथा प्रवृत्ति, आदत नहीं बदलती, मूर्ख से क्या अपेक्षा, मौन, विद्यार्थी के लिए न करने योग्य बातें, ऋषि, द्विज, वैश्य, बिल्लौटा, म्लेच्छ, चाण्डाल, दान की महिमा।
- द्वादश अध्याय-गृहस्थ धर्म, महापुरुषों पर ही समाज टिका है, गुणवान बनें, सत्संगति महिमा, साधु दर्शन का पुण्य, तुच्छता में बड़प्पन कहाँ, रिश्तेदारों के छ: गुण, दुष्ट दुष्ट है, अनुराग ही जीवन है, राम की महिमा, सीख कहीं से भी लें, काम विचार कर करें।
- त्रयोदश अध्याय-कर्म की प्रधानता, बीति ताहि बिसार दे, मीठे बोल, अति स्नेह दुःख का मूल है, भविष्य के प्रति जागरूक रहें, यथा राजा तथा प्रजा, धर्म हीन मृत समाना, मोक्ष मार्ग, सुखःदुःख, सेवाभाव, पूर्वजन्म, गुरुमहिमा ।
- चतुर्दश अध्याय-पृथ्वी रत्न, जैसा बोना वैसा पाना, शरीर का महत्त्व, एकता, थोड़ा भी अधिक है, वैराग्य महिमा, कर्म के बाद क्या सोचना, अहंकार, दूरी मन की, मीठी वाणी, इनके पास न रहें, ईश्वर सर्वव्यापी है, गुणहीन का क्या जीवन, चीज़ एक बातें अनेक, गोपनीय, वाणी से गुण झलकते हैं, इनका संग्रह करें, मानव धर्म।
- पंचदश अध्याय-दयावान बनें, गुरु ब्रह्म है, दुष्टों का उपचार, लक्ष्मी कहीं नहीं ठहरती, धन ही सच्चा बन्धु, सत्संगति, आचरण, तत्व ग्रहण, चाण्डाल कर्म, मूर्ख कौन? ब्राह्मण को मान दें, पराधीनता में सुख कहाँ, ब्राह्मण और लक्ष्मी, प्रेम बन्धन, दृढ़ता पुण्य से यश।
- षोडष अध्याय-सन्तान, स्त्री चरित्र, विनाश काले विपरीत बुद्धि, महानता, अनुचित धन, सार्थक धन, याचकता, निर्धनता, मीठे बोल, विद्या और धन समय के।
- सप्तदश अध्याय-ज्ञान गुरु कृपा का, शठ के साथ शठता, तप की महिमा, विडम्बना, लाचारी, माँ से बढ़कर कौन, दुष्टता, कुपत्नी, पति परमेश्वर, सुन्दरता, शोभा, सुगृहिणी की महिमा, गुणहीन पशु, परदुःख कातरता, पति परायणता, गुण बड़ा दोष छोटे।
- चाणक्य सूत्र
Also Read : Tools of Titans By Timothy Ferris PDF
Download Chanakya Neeti PDF for free
If you want to download The Chanakya Neeti Book PDF, epub for free, click on the below link, and you will be redirected to the download page, where you can download this book very easily.
आप डाउनलोड बटन पर क्लिक करके चाणक्य नीति किताब को डाउनलोड कर सकते हैं .
Conclusion– We hope you have downloaded The Chanakya Neeti Book PDF. If you are facing any issues in downloading, let me know in the comment section.
Disclaimer-Goodsoch.com provides the download links of important books only to help poor students who can’t afford these books. We do not own all the PDF books available on our website, nor we have created and scanned them. If you have any problems related to this article then you can contact us. We will remove it soon.